कोरोना पे प्रहार संग आयुर्वेद का आहार

पुरे जनसमूह को उनकी प्रकृति की अपेक्षा ना रखते हुए जो व्याधि ग्रसित कर देता है उसको जनपदोध्वंस या pandemic कहा जाता हैI कोरोना droplets से फैलने वाला संक्रमण हैI सोशल डिस्टंसिंग यह एक मात्र प्राथमिक उपाय है संक्रमण से बचने काl किसी भी कारण से कोरोनाव्हायरस अगर शरीर मे प्रवेश करता है तो वो व्यक्ती निश्चित ही व्याधी ग्रसित हो जाता हैI किसी भी व्याधि, bacteria या virus से लड़ने के लिए शरीर का खुदका तरीका होता है जिसे self defense, homeostasis कहते हैं और वो शरीर के व्याधिक्षमत्व या Immunity पर निर्भर करता हैI और Immunity निर्भर करती हैं या अपेक्षा रखती हैं शरीर के संतुलित ऊर्जा कीl और यह ऊर्जा बनी रहती हैं शरीर गत अग्नि से, जिसकी रक्षा करना बहुत जरूरी हैं क्योंकि इसी अग्नि के कारन जीवन सम्भव हैं और बना रहता हैंI

अग्नि की विकृती ही व्याधियों का या उसके बढ़ने का मुख्य कारन होता हैंI रोगाः सर्वेSपि मन्देSग्नो ऐसा आयुर्वेद में कहा भी हैंI इसी कारन आयुर्वेद में उपचार की दिशा शरीरगत अग्नि की रक्षा और उसकी समस्थिति बनाए रखने की तरफ होती हैंl इसीलिए आयुर्वेदिक चिकित्सा को "काय-चिकित्सा" कहा जाता है नाकी "Medicine".

कोरोना यह एक virus है और किसी भी व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है लेकिन लक्षणों की उत्पत्ति उन्हीं मे होगी जीनकी व्याधीक्षमता कमजोर होगी या शरीरगत अग्नि की स्थिति असन्तुलित होगीI यह शरीरगत अग्नी दो प्रकार का होता है जाठराग्नी, जो आहार एवम औषध को पचाने का काम करती है और धात्वाग्नि, जो शरीर के इतर धातुओं का पोषण करती हैI जब भी शरीर में कोई अनावश्यक घटको का संक्रमण या वृद्धि होती है तो यह अग्नी ही है जो उन घटको का पाचन कर उनको शरीर से बाहर निकालने का काम करती हैI अतः इस अग्नि की रक्षा करना और उसे उचित रूप मे सुचारू रखना यही जीवन का व आरोग्य पाने का लक्ष्य है या रहना चाहिएI

कोरोना काल मे भी हमे इसी अग्नि की रक्षा करनी है जिससे यही अग्नि कोरोना का व संबंधित लक्षनो का पाचन कर उनको दूर कर सकेI औषध कोई भी हो उसको अपना कार्य अच्छी तरह से करने के लिए इसी अग्नि की जरुरत होती है और उसके संतुलन पर ही औषधियों की बिना किसी अपप्रभाव (side effect) से कार्मुकता निर्भर रहती हैI अब उस अग्नि की रक्षा कैसे करें? तो उसके लिए कुछ नियम आयुर्वेद में बताएं गए हैं जिनका पालन करने से हम अग्निरक्षा कर कोरोना को मात दे सकते हैंl

सबसे पहले स्वस्थ व्यक्ती भी उनकी अग्नि सुचारू रूप से रहें और व्याधिक्षमता (Immunity) बनी रहे उसके लिए कुछ सामान्य नियमों का पालन जरूर करेंl जैसे खाना तब ही खाए जब उचित भूख लगी हो और पहले खाया हुआ खाना अच्छी तरह से पच चुका होl खाना हमेशा उतना भर पेट ना खाए जैसे कि अब एक भी निवाला ग्रहन ना कर पाएl एक भाग पेट पाचन की क्रिया के लिए खाली रहें इसका हमेशा खयाल रखेl खाना खाने के बाद ऊर्जा की निर्मिती होती है, उसको इस्तेमाल करना भी जरूरी होता है अन्यथा वो ऊर्जा शरीर के मेद निर्मिती मे काम आ जाती है जिससे fats बढते है और वजन बढने लगता है इसीलिये अपना रोज का शारीरिक काम  और व्यायाम कि शक्ती को देखकर ही अपने खाने की मात्रा का अनुमान करेl

खाना हमेशा गरम गरम ही खाना चाहिये ठंडा खाना और बहुत जादा ठंडी चीज़ें खाना नहीं चाहिये क्युकी उनको पचाने के लिए अग्नि ज्यादा खर्च होती हैं और उनसे इतर धातुओं का पोषण भी अच्छा नहीं होता और अपाय कारक आम (toxins) की निर्मिती होती हैंl खाने मे मधुर, अम्ल, लवन, कटु, तिक्त, कषाय इन सभी रसों का सेवन हो और खान पान हमेशा भूख बढ़ाने वाले (दीपन) और खाने को पचाने वाले (पाचन) घटको से युक्त होl यह घटक मतलब अपने मसाले और शून्ठि जैसी चीजें, जो खाने में स्वाद और पाचन को मदत करने वाली होती हैंl पानी भी हमेशा सुंठी से सिद्ध किया हुआ और कुनकुना ही ले, थंडा पानी ना पीए उससे शरीर का स्वाभाविक उष्मा कम होता हैं और उसको बनाए रखने के लिए अग्नि को ज्यादा काम करना पडता हैंl इसके साथ ही सप्ताह में कम से कम एक दिन पूर्ण उपवास (लंघन) ज़रूर करे जिससे अग्नि को बढ़ाया जा सकेl उपवास के दिन ज्यादा भूक लगने पर एखादा फल या मूंग की दाल या सूप ले सकते हैंl

कोरोना से संक्रमित जो लक्षण रहित है या जिनको हलके लक्षण है उन्होने भी अग्नि-रक्षा करना बहुत ज्यादा जरुरी हैl संक्रमित लोग सबसे पहले कुछ दिनो तक (3 से 5 दिन) सिर्फ़ लाल चावल का या मूंग का सूप लेकर लंघन करे और बाद में धीरे धीरे अपने भोजन की मात्रा बढ़ाएl मूंग की दाल मे नॅचरल प्रोटिन्स रहते है जो पाचन के लिए भी  सरल होते हैं और शरीर की मांसपेशियों के पोषण के लिए जरूरी होते हैं, जिससे धातुओं का क्षय नहीं होताl हमेशा ध्यान रखे की अनुलोमन अच्छी तरह से हो, मतलब पेट हमेशा ठीक तरीके से साफ रहेl इससे शरीर में कोई भी विषारी तत्व जादा देर तक टिक नही पाताl

कमजोर पाचन शक्ति वाले व्यक्ति या रुग्ण नाश्ते में भी पोहा, अंडा जैसी high carbohydrates और high protein पदार्थ ना ले जिससे अग्नि पर अतिरिक्त भार आए औऱ उसकी शक्ति उनको पचाने के लिये ही खर्च होl जिनको बहोत ही कमजोरी महसूस होती हैं वो काला मनुका, खजूर से सिद्ध सरबत ले सकते हैंl शरीर को आवश्यक विटामिन्स और मिनरल की पूर्तता शरीर अपने आप ही आहार से कर लेता हैं अतिरिक्त विटामिंस इत्यादी अपने आयुर्वेदिक वैद्य से सलाह लेकर ही ले, उनका मिथ्या सेवन ना करें क्योंकि उनको पचाने के लिए भी अग्नि की ही अपेक्षा रहती हैंl जो संक्रमित हॉस्पिटल में एडमिट हैं उन्होंने भी कम से कम ए.सी. का उपयोग करें और उपरोक्त आहार का ही पालन करेl फलो में भी पपीता, मनुका, खजूर इनका की सेवन करेl ठंडा एप्पल, केला, बहोत ज्यादा दूध, हाय प्रोटीन पाउडर, यह कफ को बढ़ाने वाले होते हैं, इनका सेवन ना करेंl

कोरोना वायरस का स्वाभाविक आयुष्यमान दो सप्ताह काही रहता है इस काल में औषधियों के साथ साथ ही इस तरीके से की गयी अग्नि-रक्षा धातुगत कोशिकाओं को बल देकर उनके कार्य को और बेहतर बनाते हैंl जो रुग्ण कोरोना संक्रमण के बाद ठीक हो गये है लेकिन बहुत जादा शारीरिक कमजोरी, मानसिक कमजोरी, कॉन्फिडन्स की कमी मेहसूस कर रहे है उनके लिए भी उपरोक्त वर्णन किए गए आहार के नियम का पालन करना निश्चित ही फायदेमंद साबित होता हैl

बहुत जादा औषधी सेवन से रुग्ण की अग्नि स्वाभाविकता मंद पड जाती है इसीलिये उसको प्रदीप्त करने के लिए विधिवत लंघन कर धीरे धीरे आहार की मात्रा बढ़ाना ही जरूरी होता हैंl औषधियाँ किसी भी पॅथी की ली हो, लेकिन आहार के नियम आयुर्वेद के ही पालन करें क्युकी ये शाश्वत हैं और काल सिद्ध हैंl जरूरत पड़ने पर अपने नजदीकी आयुर्वेद वैद्य से सलाह जरूर लेl

 

वैद्य सारंग देशपांडे (एम.डी) आयुर्वेद (विजयाश्री आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज अँड हॉस्पिटल जबलपूर)

डॉ. अर्चना देशपांडे (Ph.D.)

 


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